Shubhanshu Shukla Come back की अंतरिक्ष यात्रा यान से मुस्कुराते हुए बाहर निकले शुभांशु शुक्ला

मंगलवार का दिन भारत के लिए गर्व से भरा रहा, जब हमारे अपने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 20 दिन की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा पूरी कर पृथ्वी पर लौटे। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इसे न केवल शुभांशु की व्यक्तिगत उपलब्धि बताया, बल्कि भारत की बढ़ती अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं का प्रतीक भी करार दिया। उन्होंने कहा, “शुभांशु ने न सिर्फ अंतरिक्ष को छुआ, बल्कि भारत की आकांक्षाओं को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।”

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक भारत का गौरव

लखनऊ के 39 वर्षीय भारतीय वायुसेना अधिकारी और टेस्ट पायलट शुभांशु शुक्ला ने ‘एक्सिओम-4’ मिशन के तहत अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा पूरी की। यह एक वाणिज्यिक उड़ान थी, जिसे इसरो और नासा का समर्थन प्राप्त था और एक्सिओम स्पेस द्वारा संचालित थी। 20 दिन के इस मिशन में शुभांशु ने 18 दिन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर बिताए। मंगलवार को दोपहर 3:01 बजे (भारतीय समयानुसार) उनका ड्रैगन ग्रेस अंतरिक्षयान दक्षिणी कैलिफोर्निया के सैन डिएगो तट पर समुद्र में सुरक्षित उतरा। जैसे ही शुभांशु और उनके तीन साथी अंतरिक्ष यात्रियों ने अंतरिक्षयान से बाहर कदम रखा, वे कैमरों की ओर मुस्कुराते हुए और हाथ हिलाते हुए नजर आए, मानो ताजी हवा में सांस लेने की खुशी का इजहार कर रहे हों।

लखनऊ से अंतरिक्ष तक: एक प्रेरणादायक कहानी

लखनऊ में जन्मे शुभांशु का परिवार मध्यमवर्गीय है, जिसका विमानन या अंतरिक्ष से कोई सीधा नाता नहीं था। लेकिन बचपन में एक एयरशो ने उनके मन में ऐसी चिंगारी जलाई, जो उन्हें अंतरिक्ष तक ले गई। 1984 में राकेश शर्मा की ऐतिहासिक उड़ान के ठीक एक साल बाद, 10 अक्टूबर 1985 को जन्मे शुभांशु ने वह कर दिखाया, जो भारत के लिए सपना था। वह आईएसएस पर पहुंचने वाले पहले भारतीय बने और राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय।

जब शुभांशु का अंतरिक्षयान पृथ्वी पर उतरा, लखनऊ में उत्साह का माहौल था। “भारत माता की जय” के नारे गूंजे, तालियों की गड़गड़ाहट ने आसमान को छू लिया। उनके पिता शंभू दयाल शुक्ला और मां आशा देवी की आंखों में खुशी के आंसू थे, जबकि उनकी बहन सुचि मिश्रा ने नम आंखों और जोड़े हुए हाथों से भाई का स्वागत किया।

रक्षामंत्री और वायुसेना की बधाई

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, जो लखनऊ से लोकसभा सांसद भी हैं, ने शुभांशु के पिता से फोन पर बात की और उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा, “देश को आपके बेटे की उपलब्धियों पर गर्व है।” ‘एक्स’ पर अपनी पोस्ट में सिंह ने लिखा, “शुभांशु शुक्ला की एक्सिओम-4 मिशन से वापसी हर भारतीय के लिए गर्व का पल है। यह सिर्फ उनकी व्यक्तिगत जीत नहीं, बल्कि भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं का एक बड़ा कदम है। उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं।”

भारतीय वायुसेना ने भी ‘एक्स’ पर शुभांशु का स्वागत किया। उन्होंने लिखा, “पृथ्वी पर आपका स्वागत है, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला। भारतीय वायुसेना के सभी वायु योद्धा आपको इस मिशन की सफलता के लिए बधाई देते हैं।” वायुसेना ने एक डिजिटल पोस्टर भी साझा किया, जिसमें शुभांशु की तस्वीर के साथ लिखा था, “साहस, शक्ति और प्रेरणा की एक यात्रा।” तिरंगे की थीम में ‘सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा’ का नारा इस गर्व के पल को और खास बना रहा था।

भारत के लिए मील का पत्थर

शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा भारत के अंतरिक्ष इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गई है। यह न केवल एक व्यक्ति की उपलब्धि है, बल्कि भारत के बढ़ते वैज्ञानिक और तकनीकी दमखम का प्रतीक है। इसरो और नासा के सहयोग से संचालित इस मिशन ने दिखा दिया कि भारत अब अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहा है।

शुभांशु की कहानी हर भारतीय के लिए प्रेरणा है। एक साधारण परिवार से निकलकर अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को छूने वाले इस वायु योद्धा ने साबित कर दिया कि अगर हौसला हो, तो कोई मंजिल दूर नहीं।

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